।। नंदीश्वर द्धीप - जिनालय -अर्घ्य ।।
यह अरघ कियो निज -हेत , तुमको अरपतु हौं ...
।। नव-ग्रह -अरिष्ट -निवारक अर्घ्य ।।
जल गंध सुमन अखंड तंदुल, चरु सुदीप ...
।। श्री विमलनाथ भगवान् का अर्घ ।।
आठों दरब संवार, मन - सुख दायक पावने ।जजौं ...
।। पाँच बालयति अर्घ्य ।।
सजि वसु -विधि द्रव्य मनोज्ञ, अरघ बनावत हैं ।वसु ...
।। श्री बाहुबलि - स्वामी का अर्घ्य ।।
आठ दरब कर से फैलाये, अर्घ बनाय तुम्है हि ...
।। श्री वासु पूज्य भगवान का अर्घ ।।
जल -फल दरब मिलाय गाय गुन , आठों अंग नमाई ...
।। श्री ऋषि -मंडल अर्घ्य ।।
जल - फलादिक द्रव्य लेकर अर्घ सुन्दर कर लिया ...
।। श्री श्रेयांसनाथ भगवान का अर्घ ।।
जल मलय तंदुल सुमन चरु दीप धूप फलावली ...
।। श्री चौबीस -तीर्थंकर निर्वाण क्षेत्र अर्घ्य ।।
जल गंध अक्षत फूल चरु फल , ...
।। सरस्वती माता अर्घ ।।
जल चंदन अक्षत फूल चरु , अरु दीप धूप अति फल लावै।पूजा ...