।। श्री श्रेयांसनाथ भगवान का अर्घ ।।
जल मलय तंदुल सुमन चरु दीप धूप फलावली ।
करि अरघ चरचौं चरन जुग , प्रभु मोहि तार उतावली ।।
श्रेयांसनाथ जिनंद त्रिभुवन वंद आनंदकंद हैं ।
दुःखदंद - फंद निकंद पूरन चंद जोति - अमंद हैं ।।
।। ॐ ह्रीं श्री श्रेयांसनाथ जिनेन्द्राय अनर्घ्य पद प्राप्तये अर्घं निर्वपामिति स्वाहा ।।