।। दशलक्षण धर्म ।।
आठों दरब संभार , 'घानत' अधिक उछाहसों ,
भव -आताप निवार , दस - लक्षण पूजों सदा ।
।। ओ ह्रीं उत्तम क्षमादि- दशलक्षण अर्घं निर्वपामीति स्वाहा ।।
।। दशलक्षण धर्म ।।
आठों दरब संभार , 'घानत' अधिक उछाहसों ,
भव -आताप निवार , दस - लक्षण पूजों सदा ।
।। ओ ह्रीं उत्तम क्षमादि- दशलक्षण अर्घं निर्वपामीति स्वाहा ।।