।। आरती क्षेत्रपाल वाले बाबा की।।
करूं आरती क्षेत्रपाल की, जिन पद सेवक रक्षपाल की ।
विजयवीर अरु मणिभद्र की, अपराजित भैरव आदि की ।।करूं।।
शिखर मणिमय मुकुट विराजै, कर में आयुध त्रिशुल जुराजै ।
कूकर वाहन शोभा भारी, भूत – प्रेत दुष्टन भयकारी ।।करूं।।
लंकेश्वर ने ध्यान जो कीना, अंगद आदि उपद्रव कीना ।
जभी आपने रक्षा कीनी, उपद्रव टारि शांतिमय कीनी ।।करूं।।
जिन भक्तन की रक्षा करते, दुःख दारिद्र सभी भय हरते ।
पुत्रादि वांछा पूरी करते, मनोकामना पूरी करते ।।करूं।।
सबके संकट जल्दी हरते, सबकी गलती माफ करते ।
अपने भक्तो की लाज रखते, इसलिए हम आरती करते ।।करूं।।